भारत-साउथ अफ्रीका मैच में महेंद्र सिंह धोनी द्वारा सेना के बलिदान बैज वाले दस्ताने पहनने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आईसीसी द्वारा दस्तानों बीसीसीआई को इस चिन्ह्र को हटाने का अनुरोध किया है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसे हटाने के लिए उन नियमों का हवाला दिया जो खिलाड़ियों को राजनीति, धर्म, जातीय गतिविधियों या किसी अन्य उद्देश्यों के लिए किसी तरह के संदेश को प्रसारित करने से रोकते हैं। लेकिन बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने शुक्रवार को कहा कि धोनी विकेटकीपिंग के दौरान कृपाण चिह्न वाले दस्ताने पहनना जारी रख सकते हैं क्योंकि यह सेना से जुड़ा नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि बीसीसीआई ने इसको लेकर आईसीसी से मंजूरी देने के लिये कहा है।
राय ने कहा, ‘बीसीसीआई पहले ही मंजूरी के लिये आईसीसी को औपचारिक अनुरोध कर चुका है। आईसीसी के नियमों के अनुसार खिलाड़ी कोई व्यावसायिक, धार्मिक या सेना का लोगो नहीं लगा सकता है। हम सभी जानते हैं कि इस मामले में व्यावसायिक या धार्मिकता जैसा कोई मामला नहीं है।’उन्होंने कहा, ‘यह अर्द्धसैनिक बलों का चिह्न नहीं है इसलिए धोनी ने आईसीसी के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है’
International Cricket Council (ICC) has requested Board of Control for Cricket in India (BCCI) to get the 'Balidaan Badge' or the regimental dagger insignia of the Indian Para Special Forces removed from Mahendra Singh Dhoni's wicket-keeping gloves. pic.twitter.com/63rOjsCooX
— ANI (@ANI) June 6, 2019
वहीं खेल मंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि इस मामले में बीसीसीआई को आईसीसी की बात मानने की जगह धोनी के साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि बीसीसीआई इस मामले को आईसीसी के समक्ष उठाएगी और इसका समाधान ढूंढने का प्रयास करेगी। धोनी की पहचान देश की पहचान है और हमारी सेना की पहचान है। इसमें कोई राजनीति नहीं है। लिहाजा बीसीसीआई को धोनी के साथ खड़ा होना चाहिए। खेल मंत्री ने कहा केंद्र सरकार क्रिकेट का संचालन करने वाले खेल संघ बीसीसीआई के कार्यों में कोई दखल नहीं देगी। बीसीसीआई एक स्वतंत्र संस्था है।
रिजिजू ने कहा, “यह घटना वर्ल्ड कप के दौरान भारत साउथ अफ्रीका मैच में हुई है। ये भारत के सम्मान से जुड़ा मुद्दा है। मैं बीसीसीआई से ये कहना चाहूंगा कि अपने स्तर पर वो भारतीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही आईसीसी के सामने इस मुद्दे को उठाए। अगर जरूरी हो तो बीसीसीआई को सरकार को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। मैं बीसीसीआई से अनुरोध करना चाहूंगा कि आईसीसी के समक्ष इस मुद्दे को ठीक तरह से उठाया जाए।”